Tuesday 16 February 2016

A-064 किसको छोड़ूँ 16.2.16--2.34 AM


A-064 किसको छोड़ूँ  16.2.16—2.34 AM 

किसको छोड़ूँ और किसको याद करूँ 
किस किस लम्हे की अब मैं बात करूँ 

वो पहली मुलाकात मिल बैठे थे साथ 
वो प्यारा सा चुम्बन और हाथों में हाँथ 

कटीली मुस्कान जो बन गयी पहचान 
दो दिलों की धड़कन बन गयी मुकाम 

नयनों की फड़कन तटस्थ हो गयी थी 
मेरे दिल की हालत ध्वस्त हो गयी थी 

तेरे संजोये सपनों को अपना बता के 
उनका सिंगार कर उनको ही सजा के 

तुमसे प्यार किया मैंने अपना बता के 
तुम्हारे जिस्म पर अपना हक़ जता के 

कविता तुम्हें बताकर दिल में बिठा के 
पलकों पे सजाकर ख़ुद से ही छिपा के 

तुमसे मेरा मिलना कई बहाने बना के 
तुमसे छेड़छाड़ करना किस्से सुना के 

ख़ुद मजनू बन बैठा तुम्हें लैला बना के 
कुछ सपने संजोये कुछ तुमसे छिपा के 

अब जुदाई का दर्द मैं किसको बताऊँ 
दर्द है बहुत ज्यादा इसको कैसे छिपाऊँ 

किसको छोड़ूँ और किसको याद करूँ 
किस किस लम्हे की अब मैं बात करूँ 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”


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