Tuesday 23 February 2016

A-096 बिसर गयीं यादें 24.2.16—7.29 AM

A-96 बिसर गयीं यादें 24.2.16—7.29 AM
Dedicated to my wife on our marriage anniversary 

घिर गयीं यादें याद आये तुम 
तन्हा हुए हम बारात लाये तुम

तेरी याद पल पल समाती रही 
तेरी मोहब्बत मुझे जगाती रही 

तुझमें मुझे जगाने का दम था 
तभी तो मेरा आना भी कम था  

तुम ही हो मेरी तब्बसुम नज़ारा
तभी तो बनी मेरी रोशन आरा 

हर रोम है चिंतित तुझे पाने को 
क्या नाम दूँ अब मैं तेरे आने को 

न तुम न मैं सिर्फ हम ही हम हों 
न तुम न मैं सिर्फ हम ही हम हों 

शादी की साल गिरह बहुत बहुत मुबारक हो!


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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