Dedicated to my wife on our marriage anniversary
घिर गयीं यादें याद आये तुम
तन्हा हुए हम बारात लाये तुम
तेरी याद पल पल समाती रही
तेरी मोहब्बत मुझे जगाती रही
तुझमें मुझे जगाने का दम था
तभी तो मेरा आना भी कम था
तुम ही हो मेरी तब्बसुम नज़ारा
तभी तो बनी मेरी रोशन आरा
हर रोम है चिंतित तुझे पाने को
क्या नाम दूँ अब मैं तेरे आने को
न तुम न मैं सिर्फ हम ही हम हों
न तुम न मैं सिर्फ हम ही हम हों
शादी की साल गिरह बहुत बहुत मुबारक हो!
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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