A-090 नए रास्ते की तलाश 14.2.16—10.12 AM
(मेरे एक नए दोस्त को समर्पित)
नए रास्ते की तलाश और हुआ मैं हताश
रिश्तों को संभालते संभल जाते वो काश
इतने प्यारे रिश्ते कब और कहाँ छूट गए
जो कल तक अपने थे आज वही टूट गए
यादें भी छूट जाती तो इतना गम न होता
इतने प्यारे रिश्ते भला हमसे ही रूठ गए
आसाँ नहीं है दोनों के साथ साथ चलना
स्वभाविक है बीच में दिल का मचलना
अपने दिल की सुनोगे या जंग ए सफ़र की
अपने शब्दों की सुनोगे या मंदे कफर की
तुम्हारी नीयति तय करेगी सफर ये सुहाना
दर्द के लम्हें भी होंगे बिलकुल न घबराना
तुम लक्ष्य अधीन रखना शब्द तमीज़ रखना
दुनिया चाहे परे हो पर ख़ुद पे यकीन रखना
ख़ुद पे यकीन रखना ……………………….
Poet: Amrit
Pal Singh Gogia “Pali”
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ReplyDeleteThank you so much Surya Kant!
Deletewell written
ReplyDeleteThank you so much Niti Ji for your wonderful comments!
DeleteRishton ki bahut ahimiat hoti hai Sahib. Well written.
ReplyDeleteThank you so much for your wonderful comments!
DeleteYeah...khud par yakin rakhna..aa jaaye chaahe tuphaan....himmat ko pakad ke rakhnaa.
ReplyDeleteआ जाये चाहे तूफान, हिम्मत को पकड़ के रखना
Deleteबहुत खूब, आपका बहुत बहुत धन्यवाद रीना जी
Fantastic poem wonderful
ReplyDeleteThank you Neelu for your wonderful comments and you love.
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