A-109 कितने डरे हुए हो 23.2.16--7.51 AM
कितने डरे हुए हो कितने सधे हुए हो
मौत का जो डर है कितने मरे हुए हो
ये पूजा ये पाठ ये संध्या का साथ
ये मन्त्रों का जाप करो दो दो हाथ
ये मंदिर गुरूद्वारे मस्जिद के इशारे
तेरे होने का तरीका बैठे रहो किनारे
इंसान नहीं, डर फरियाद करता है
भगवान नहीं, डर निवास करता है
साँस तो लेता है, बार-बार मरता है
बक्श मिले, सच से इंकार करता है
तुम्हारी सारी पूजा ऋद्धि-सिद्धियां
लाखों आडम्बर दिखावे के बवंडर
जोग-पूजा स्नान चाहे करो सम्मान
झूठा है अभिमान चाहे कर लो दान
ये मन्दिर गुरूद्वारे तुमने जाने नहीं इशारे
फर्क नहीं पड़ता चाहे मर्ज़ी करो फव्वारे
तुम अपनी गलतिओं से मिलने जाते हो
छोटे हो जाते फिर बौने होकर आते हो
मिलेगा वही जिसपर ध्यान सदा होगा
जिसको ध्याया है वही तो अदा होगा
एक अदने अफसर से मिलकर आते हो
कितना गुनगुनाते और ख़ुशी जताते हो
प्रभु से मिलकर आये फिर भी मुरझाये हो
सब झूठ है न……?
उससे मिलने जाओ तो उससे मिलने जाओ
उसके बीच में ये प्रार्थना ये दोष मत लाओ
जो बीच में आ गया उसी से तो मिल पाओगे
कोशिश करो फिर सोचो कैसे पहुँच पाओगे
तुम डरपोक हो डरते हो उसको अपनाने से
गर साथ हो लिया तो फिर साथ निभाने से
फिर झूठ कहाँ छिपेगा सच कैसे बताओगे
किसको तुम ठग पाओगे कैसे तुम हराओगे
ठगी का ये खेल सारा समझ नहीं पाओगे
ठगे से रह जाओगे ख़ुद ही गुम हो जाओगे
और ऐसा क्या जो तुम कदापि नहीं चाहते
फिर वो सच, जो झूठा है क्यों नहीं बताते
जो झूठ है उसका सच गर बता दिया होता
रिश्ते भी बन गए होते आज़मा लिया होता
बोलो सच है न? सब झूठ है! सब झूठ है न?
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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