Saturday 27 February 2016

A-180 कौन सी तस्वीर 31.07.2020--7.12 PM


कौन सी तस्वीर बनाऊँ तुम्हारी 
हर पल मटकती बयार देखी है 

एक पल प्यारी भोली भाली सी 
दूसरे पल मिर्ची गुलाल देखी है 

तू मुस्कराये तो फूल झरने लगें 
दुसरे पल सूखी टटाल देखी है 

कभी अदा निराली सुर्ख लाली 
दूजे पल शर्म से लाल देखी है 

कभी मतवाली सुगन्ध निराली 
गाहे-बेगाहे ज़ार-ज़ार देखी है 

बहुत सहज़ता की मूरत देखी 
कभी होती है बेक़रार देखी है 

कभी होंठ सिले हया का पर्दा 
कभी बड़बोली बेवाक देखी है 

उमड़ जाये तो प्यार क़ाबू नहीं 
कभी नफरत भरी नार देखी है 

देखा अपनी बाँहों में गिरते हुए 
कभी ढोंगी और बेज़ार देखी है 


अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

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