छोटू....!
कहाँ मर गया तूँ 26.6.16—6.30 AM
छोटू....!
कहाँ मर गया तूँ
बीबी जी
मैं अभी आया
बड़े बाबू
जी के पाँव दबा रहा था
उनको नींद
नहीं आ रही थी
लोरी सुना
रहा था
कुछ ज्यादा
ही बोलने लग पड़ा है
इधर आ तेरी
जान निकालती हूँ
लो जी आ
गया
अब बोलो
क्या करना है
मेरा सर
पे आकर खड़ा हो गया है
खाना क्या
तेरी माँ बनाएगी
माँ होती
बीबी जी तो आज मुझे
दर दर की
ठोकरें नहीं खानी पड़ती
बहुत बोलने
लग पड़ा है
चल रोटीआं
उतार
लो अभी
लो बीबी जी
छोटू..
बेटे मेरे जूते कहाँ हैं
अभी आया
बाबू जी वैसे जूते तो रैक पर रखे थे
ये लो बाबू
जी
अच्छा मेरा
नाश्ता जल्दी लगा दे
मम्मी मम्मी
देखो न छोटू सुनता ही नहीं है
मुझे मेरी
टाई नहीं मिल रही है
छोटे बाबू
नाराज क्यों होते हो
टाई लेने
ही गया था
छोटू..
बेटे आज गाड़ी साफ़ नहीं करी
अभी कर
देता हूँ बाबू जी
मुझे ऐसे
क्यों देख रहा है
सिर्फ आप
ही हो जो इतने प्यार से बुलाते हो
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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