तेरे अंजुमन में ख़ामोशी का आलम
लोग तन्हा हैं या दिल लगाये बैठे है
कुछ हँसते मुस्कुराते गीत गाते हुए
कुछ अपना चेहरा छिपाये बैठे हैं
कुछ लोट पोट एकदम बेहोश हैं
कुछ भृकुटि चेहरा चढ़ाये बैठे हैं
कमर हिलाने का हुक्म नहीं जिनको
वह भी पूरे जोश में आये बैठे हैं
मुजरा कर दुनिया को रिझाते हैं जो
कहीं कहीं वो भी चोट खाए बैठे हैं
जंगें जीत के जो बहादुर बन बैठे हैं
वो भी कहीं कुछ खार खाए बैठे हैं
बड़ी मुद्दत के बाद जो घर लौटे हैं
कहीं हार का जश्न मनाये बैठे है
कुछ मशरूफ हैं सुनने को आतुर
कुछ बेचैन हैं कुछ बौराये बैठे हैं
बेशर्मों की जमात भी देखी है आज
कुछ तो रिश्ते तोड़ के आये बैठे हैं
इश्क न कर "पाली" तू इस दुनिया से
लोग इसका भी मतलब बनाये बैठे हैं
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
Wah Sir Ji wajan hai
ReplyDeleteThank you so much parmendar!
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