A-296 आ जाया करो 9.8.2016—7.02 AM
भोर की पहली किरण, कभी ओस कभी पवन
अपनी आभा के संग, बन के मेरे सनम
आ जाया करो
फूलों की पंखुड़ी, मखमल सा बदन
खुशबू का इत्र बन, जब बिखरे है पवन
आ जाया करो
हवा की लहर बन, पत्तों के बहर संग
थोड़ी सी उलझ कर, जब धुन बजने लगे
आ जाया करो
मौसम का आगाज बन, सावन का राज बन
हवा जब हमराज़ बने, थोड़ा मुस्कुराया करो
आ जाया करो
सावन का गीत बन, हवा का मीत बन
कभी कोई गीत सुन, कभी सुनाया करो
आ जाया करो
बारिश की बौछार में, बिजली की आड़ में
फिसलन मनुहार में, बाँहों की बाड़ में
आ जाया करो
कभी एक याद बन, फुरसत की बात बन
एक सुन्दर तस्वीर में, बदल जाया करो
आ जाया करो
पंछियों का गीत बन, बहके जब सुन्दर मन
कभी तुम भी गाया करो, कुछ तो सुनाया करो
आ जाया करो
एक कटीली मुस्कान बन, चेहरे की पहचान बन
आँखों में आँखें डाल, उनमें समा जाया करो
आ जाया करो
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
Excellent. God bless you.
ReplyDeleteThanks again for your blessings and comments! Gogia
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