Wednesday 5 July 2017

A-296 आ जाया करो 9.8.2016—7.02 AM

A-296 आ जाया करो 9.8.2016—7.02 AM 

भोर की पहली किरण, कभी ओस कभी पवन
अपनी आभा के संग, बन के मेरे सनम 
आ जाया करो 

फूलों की पंखुड़ी, मखमल सा बदन 
खुशबू का इत्र बन, जब बिखरे है पवन 
आ जाया करो 

हवा की लहर बन, पत्तों के बहर संग 
थोड़ी सी उलझ कर, जब धुन बजने लगे 
आ जाया करो 

मौसम का आगाज बन, सावन का राज बन 
हवा जब हमराज़ बने, थोड़ा मुस्कुराया करो 
आ जाया करो 

सावन का गीत बन, हवा का मीत बन
कभी कोई गीत सुन, कभी सुनाया करो
आ जाया करो 

बारिश की बौछार में, बिजली की आड़ में 
फिसलन मनुहार में, बाँहों की बाड़ में 
आ जाया करो 

कभी एक याद बन, फुरसत की बात बन 
एक सुन्दर तस्वीर में, बदल जाया करो 
आ जाया करो 

पंछियों का गीत बन, बहके जब सुन्दर मन 
कभी तुम भी गाया करो, कुछ तो सुनाया करो 
आ जाया करो 

एक कटीली मुस्कान बन, चेहरे की पहचान बन 
आँखों में आँखें डाल, उनमें समा जाया करो
आ जाया करो 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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