"सूरज को दीया नहीं दिखाया जाता
कितनी भी ज्ञानी हो जायूँ
आपके तो आस पास भी नहीं"
किसी ने प्यार से बताया
पर हमने नहीं जताया
"हमने इसका जवाब कुछ ऐसे दिया"
तेरी इसी मासूमियत ने
ले ली है ज़न्नत मेरी
तेरी इसी चेहरे ने
मुझको है लुभाया
पर हमने नहीं जताया
यह कहाँ से आया
कुछ समझ नहीं पाया
तुम कितनी हसीन हो
यह तुमने नहीं फ़रमाया
पर हमने नहीं जताया
मेरे दिल से पूछो
तेरे होने का सबब
यह वो रिश्ता है
बन के ख़ुदा जो आया
पर हमने नहीं जताया
दिल में बसे रहते हो
बन के इक जोत तबस्सुम
तेरी आने की तलब ने
जितना भी सताया
पर हमने नहीं जताया
अपने दिल के रिश्तों की
इक हसीन दुनिया है
इनको निभाया तो जाना
जो भी समझ आया
पर हमने नहीं जताया
तेरी एक एक पद्दचाप
बन जाती है धड़कन
न सुने तो बढ़ जाती है
हो जाता है सफ़ाया
पर हमने नहीं जताया
Poet: Amrit Pal Singh "Gogia"
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