Saturday 29 July 2017

A-301 मेरे पास 15.7.17--10.10 PM

A-301 मेरे पास 15.7.17--10.10 PM

मेरे पास क्यों का जवाब नहीं है 
जिंदगी हक़ीक़त है ख्वाब नहीं है 

तेरी प्रतिबद्धता है मैं समझता हूँ 
तेरी इसी बात पर तो मैं मरता हूँ 

मेरी ही कमियाँ मैंने ही सुधारनी हैं 
बढ़ा चढ़ा कर बात नहीं बघारनी है 

जो मेरा झूठ है वही सच बोलना है 
रिश्तों को अहम से नहीं तौलना है 

जरुरत है अपने आप से मिलने की 
अपनी गलतियाँ खुद ही सिलने की 

बल चाहिए स्वयं को जानने के लिए 
जिंदगी का हर रंग पहचानने के लिए 

तुम बीच में आये तो फिसल जायूँगा 
फिर ये बात तुमको कैसे समझाऊँगा 

कुछ तो मेरी अपनी ही कमजोरियां है 
कुछ बन गयीं मुझसे मेरी ही दूरियां हैं 

मेरे पास क्यों का जवाब नहीं है 
जिंदगी हक़ीक़त है ख्वाब नहीं है 


Poet; Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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