A-303 मैंने खुदा से पूछा 25.7.17 9.00AM
मैंने खुदा से पूछा मेरे होने का सबब बता दे
खुदा मुझ से बोला असली चेहरा तो दिखा दे
लाख कोशिश की असली चेहरे के मुतल्लिक
सामने नहीं वो आता चाहे जन्नत ही लिवा दे
दे दे मुझे वो लियाक़त चेहरा गुलाम हो जाये
खुदा मुझसे बोला थोड़ा सच बोल के दिखा दे
मेरे सच के पीछे भी मक्कारों की मंजिलें हैं
उन मक्कारों से एक बार पीछा तो छुड़ा दे
खुदा मुझसे बोला पापों की दुनिया है देखी
एक दफा तू मुझसे उस दुनिया को मिला दे
खुदा मुझसे बोला स्वार्थ को परे रख कर
प्रेम की भाषा पढ़ एक रिश्ता ही निभा दे
यह कैसी सज़ा है जो मुझको दे रहा तू
नुक्कर ही मुझे देदे मुझको तू छिपा ले
मैं उलझता जा रहा हूँ तेरे जवाबों के घेरे
मेरे ओछेपन से एक बार पर्दा तो हटा दे
Poet: Amrit Pal Singh Gogia
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