Sunday 30 July 2017

A-303 मैंने खुदा से पूछा 25.7.17 9.00AM

A-303 मैंने खुदा से पूछा  25.7.17  9.00AM

मैंने खुदा से पूछा मेरे होने का सबब बता दे
खुदा मुझ से बोला असली चेहरा तो दिखा दे 

लाख कोशिश की असली चेहरे के मुतल्लिक 
सामने नहीं वो आता चाहे जन्नत ही लिवा दे 

दे दे मुझे वो लियाक़त चेहरा गुलाम हो जाये 
खुदा मुझसे बोला थोड़ा सच बोल के दिखा दे 

मेरे सच के पीछे भी मक्कारों की मंजिलें हैं 
उन मक्कारों से एक बार पीछा तो छुड़ा दे 

खुदा मुझसे बोला पापों की दुनिया है देखी 
एक दफा तू मुझसे उस दुनिया को मिला दे 

खुदा मुझसे बोला स्वार्थ को परे रख कर 
प्रेम की भाषा पढ़ एक रिश्ता ही निभा दे

यह कैसी सज़ा है जो मुझको दे रहा तू 
नुक्कर ही मुझे देदे मुझको तू छिपा ले 

मैं उलझता जा रहा हूँ तेरे जवाबों के घेरे 
मेरे ओछेपन से एक बार पर्दा तो हटा दे 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia


No comments:

Post a Comment