Tuesday 5 April 2016

A-132 दस्तक 5.4.16—10.00 PM

A-132 दस्तक 5.4.16—10.00 PM 

रुक रुक के दस्तक किये वो देता है  
शान्ति हर पल की भंग किये देता है  

उसकी बेरुखी है या उसका स्वभाव है  
प्यारी दस्तक है ज़िन्दगी का पड़ाव है 

ज़िन्दगी के पड़ाव में उसके दबाव में 
मतलब बदल गये उसी के सुझाव में 

क्या हुआ जो पहाड़ टूट कर आ गिरा 
वह भी तो छोड़ के आया अपना सिरा  

इसी अहो भाव में जो भी रह जायेगा 
विश्वास, बल भी केवल वही पायेगा 

पेड़ भी तन्हा हुए पतझड़ के आड़ में 
मंझर के फूल खिले श्रावण बहार में 

परिवर्तन है तो जिन्दगी का स्वभाव है 
इसको भूल जाना ही हमारा अभाव है 

सहज स्वीकृति ही तो ख़ुशी आनन्द है 
जहाँ सहजता है वहीं तो परमानन्द है


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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