Wednesday 6 April 2016

A-075 तुम खुद ही 7.4.16—5.15 AM

A-075 खुदा की तस्वीर 7.4.16—5.15 AM 

तुम ख़ुद ही बने खुदा की तस्वीर हो 
तुम ख़ुद ही बने अपनी तकदीर हो 
किधर देखते हो वहां कोई भी नहीं 
इधर देखो तुम ही अपनी तदबीर हो 

दिखता नहीं खुदा ख़ुद को देख लो 
अपनी नज़रों से ख़ुद का सम्वेद लो 
परखो ज़िंदगी की हर एक तरंग को 
जानो ज़रा शरीर के हर एक अंग को 

परखो ज़रा सा अपनी जुबान को 
परखो ज़रा सा अपनी पहचान को 
एक पल पहले जिसके अम्बार थे 
दूजे पल बिखर गये सब ख़्वार थे 


कौन था जिसने निर्मित किया था 
तुमने ही इसको सृजित किया था 
खुशियां के डोले भी तेरे ही बोल थे 
दुःख संकट की घड़ी तेरे ही बोल थे 

जिसने बोला खुदा हूँ खुदा हो गया 
जिसने बोला जुदा हूँ जुदा हो गया 
तुमने कहा फ़िदा तुम फ़िदा हो गए 
तुमने कहा सदा तुम सदा हो गए 

हर तस्वीर तुमने ख़ुद ही बनाई है 
हर तस्वीर तुमने ख़ुद ही सजाई है 
किस्मत भी वही बनकर आयी है 
शहनाई वही जो तुमने बजाई है 

जो तुमने कहा था वही तो तुम हो 
किसी का दोष नहीं  क्यों गुम हो 
गरिमा भी तेरा उपवन भी तेरा है 
करिश्मा भी तेरा खेल भी तेरा है 

तेरे ही शब्द हैं तेरा ही मान है 
तेरी ही कद्र है तेरा सम्मान है 
अपने शब्दों की लाज बचा ले 
वही ज़िंदगी है वही अभिमान है


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

No comments:

Post a Comment