जिंदगी जानो रहकर थोड़े होश में
जिंदगी जियो रहकर थोड़े जोश में
वर्ना रह जाओगे तुम पशम पोश में
दिल करता है सुबह उठकर मुकर जाने को
सिकुड़ता जाता है जिस्म लिपट जाने को
इससे क्या रंगी समां होगा कुछ पाने को
जिंदगी जीनी है या दिखाना है ज़माने को
इतने कपड़ों में कुछ भी नहीं दिखाने को
सिहरन सी उठती है दाँत किटकिटाने को
हाँथ करते है शुकराना अपने दस्ताने को
चेहरा भी दिखता नहीं अब मुस्कराने को
सफ़ेद चादर ओढ़े हुए है ये आसमां
नहीं दिखता है मुझे कोई भी निशां
नज़र मेरी दूर जहाँ तक भी जाती है
फिर लौटकट वापस सिमट जाती है
कैसे ढूँढूँ मैं अब अपने प्यार को
कैसे समझाऊं मैं इस बयार को
चश्मा भी धुंदला सा हो गया है
मेरा यार यहीँ कहीं खो गया है
दबे पावों दूब से अब निकलना है
मोती बिखर न जाये सम्हलना है
एक एक पत्ते पे बिखरे ये मोती
इनके ऊपर ही तो अब टहलना है
कलियाँ भी कुछ दुबक सी गयी हैं
मोतियों संग कुछ सुबक सी रही हैं
नहीं कोई चादर है ओढ़ने के लिए
कहीं चंगी और कहीं लुढक गयी हैं
पंछी भी थोड़े गुमसुम से बैठे हैं
किसी से कुछ भी नहीं कहते हैं
अपना दर्द वो खुद ही सहते हैं
न जाने किसके लिए वो बैठे हैं
हर ढलान फिसलन सी बन रही है
फिजा भी सहारे लेकर चल रही है
आवाज भी कुछ दुबक सी गयी है
पौ अभी आखिरी सांसें गिन रही है
अंधेरा थोड़ा कम हुआ जाता है
रवि के आने की खबर बताता है
लाल गोला जैसे ही मुस्कराता है
हर चेहरा खिलता चला जाता है
किरण उम्मीद बनकर आयी है
सुनहरे रंग बिखेरती वो छाई है
चिड़िओं में एक उमंग जागी है
वो उड़ी वो उड़ी और वो भागी है
धूप खुलकर निखरने लगी है
चहलकदमी अब बढ़ने लगी है
फिजा भी अब महकने लगी है
चिड़ियाँ भी अब चहकने लगी हैं
ठंडी हवा के झोके आने लगे हैं
हर बदन को छूकर जाने लगे हैं
हवा के हिलोरे बल खाने लगे हैं
खूबसूरत चेहरे मुस्कराने लगे हैं
तन बदन की खुशबू भी यहाँ आई है
फ़िज़ा भी खुलकर यहाँ मुस्कराई है
ठंडी ठंडी हवा की ये ठंडी सी बौछार
ऐसा स्पर्श भी मिलता है कभी कभार
हर कली फूल बनकर महक रही है
हर पंछी की आवाज़ चहक रही है
दिल की आवाज़ भी सिसक रही है
फ़िज़ा बनकर इज़हार कसक रही है
कहाँ मिलती हैं इतनी सुन्दर फिजायें
कहाँ दिखती हैं इतनी सुन्दर अप्सराएं
क्यूं दिल करता है कि बार बार आएं
क्यूं दिल करता है की अब मुस्कराएँ
कहाँ मिलता है यूँ जमीं से आसमाँ
कहाँ मिलता है ऐसा सुन्दर कारवाँ
कहाँ मिलते हैं यह हवाओं के बुल्ले
कहाँ मिलते हैं यह दतवन ये कुल्ले
कहाँ मिलता है इतना रंगी ये समाँ
मिलती है आज़ादी घूमे सारा जहाँ
कली फूल बनकर खिलती है वहाँ
कदरदान की निगाहें दास्ताँ हों वहाँ
कहाँ मिलता हैं पंछियों का खज़ाना
हवा में लहराना बल खा खा जाना
हवा में उड़ान भरना और तिरते जाना
एक दम बिछुड़ना एक जुट हो जाना
ऊँची उड़ान भर कर इतराने लगे हैं
मटक मटक कर शोर मचाने लगे हैं
औरों को साथ लेकर गाने लगे हैं
आसमां की रौनक भी बढाने लगे हैं
टहनिओं पर बैठना निगाहें इतराना
एक ने उड़ना और सब ने उड़ जाना
घूम घूम कर फिर वापस आते जाना
शोर मचाकर फिर सबको ये बताना
तुम पहले भी मेरे आगोश में आते थे
तुमको पता है तुम कितना घबराते थे
कभी आते थे कभी रुक रुक जाते थे
फिर यह बात तुम खुद ही तो बताते थे
चले भी आओ अब मेरे आग़ोश में
जिंदगी जानो रहकर थोड़े होश में
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