हसीन वदिओं में कहीं सो गया
बादलों के झुरमुट कहीं बादलों की गड़गड़ाहट
रिमझिम का है मौसम उसकी ही है आहट
कहीं सुनहरी लकीरों का है अंदाज़ है निराला
कहीं उनकी गर्जन गरजे बन नगारा
कहीं हवा के झोंके उड़ाएं जल समुन्दर
कहीं हवा के झोकें बन जाएं हैं बवंडर
कहीं पत्तों का होड़ मचाये इतना शोर
लगे अब टहनियां टूटी कि अब टहनियां टूटी
नहीं रुकेंगे अब ये तूफानों के घेरे
कुछ मेरे छप्पड़ उड़ेंगे कुछ उड़ेंगे तेरे
वो उड़ गयी छतरी वो उड़ी चुनरिया
वो भाग खड़ी हुई जंगल की बंदरिया
बच्चे गले लगाये उसको कहाँ छुपाये
यह मुश्किल है उसकी किसको ये बताये
कभी एक टहनी के नीचे कभी दूसरी पर चली जाये
उधर पंछी बेचारे करते हैं इशारे
छुप जाओ अँधेरे में मत जाओ करन खवारे
कभी कभी ची ची की आवाज है आई
लगता है उसकी अम्मा कोई दाना चुन कर लाई
कितनी भीगी होगी और कितनी घबराई
इतनी बारिश में भी दाना कहाँ से चुन कर लाई
बच्चे न भूखे रह जायें हर माँ की हैं दुआएं
बच्चे न भूखे रह जायें हर माँ की हैं दुआएं
हर माँ की हैं दुआएं…हर माँ की हैं दुआएं………
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