A-069 क्यों कि मैं
क्यों कि मैं उनसे प्यार करता हूँ
अपने दिलो जान से ज्यादा उन पर एतबार करता हूँ
उनकी हर अदा पे मरता हूँ और इकरार भी करता हूँ
उनकी नज़रों से बच कर उनसे निगाहें चार करता हूँ
बिना उनसे पूछे भी मैं इस बात का इज़हार करता हूँ
उनकी जुल्फों के साये तले अक्सर आराम करता हूँ
घनी बदलियों में छिपकर रहना मैं स्वीकार करता हूँ
ठंडी हवाओं के झोंकों का भी मैं मदिरापान करता हूँ
जब बरसती हैं फिजायें मैं उनमें खूब स्नान करता हूँ
मुझे चाहिए उनका मखमली स्पर्श व छूने का बहाना
जब उनकी लटायें उड़ती हों और बल खाते हुए आना
लटों को झटक के झटकना और फिर धीरे से गिराना
पहले मुखड़े को छिपाना और फिर ख़ुद ही चले आना
उनके तिरछे नयन उनकी भृकुटी मुझे अच्छी लगती हैं
उनके चेहरे पर वो कटीले भौहें भी क्या खूब जचती हैं
कटीले नैनों की अन्दाज़ और पलकें जब झपकती हैं
एक सिहरन सी होती है जैसे सारी खुदाई खनकती है
जाने अंजाने में उनके दिल के चक्कर काट ही आता हूँ
कभी अँधेरा तो कभी बिजली देख ख़ुद ही मुस्कराता हूँ
थोड़ी सी गुदगुदी और थोड़ी सी शरारत भी कर पाता हूँ
इसीलिए यह बात जान बूझकर ही मैं सबको बताता हूँ
दूर वादियों से आती हुई वो ठण्डी हवाओं का वो जश्न
हर हवा का झोंका बिखेरे वो नयी अदाओं का वो जश्न
उसका मुझे छूकर गुजरना व सहलाये जाने का वो जश्न
कैसे भूल सकता हूँ मैं हर रात जश्न मनाने का वो जश्न
काश वो तन्हा हों मान जाएं और थोड़ा मेरे करीब आएं
ये मेरा खुशनसीब होगा कि कबूल हो जाएं मेरी दुआयें
और जब भी मेरे करीब आएं तो बस वो मेरे करीब आएं
करीब आ जाएं तो दूरी न बनाएं और न ही मुझे सताएं
नहीं परवाह मुझे और मंजूर है उनके संग झुलस जाना
मौत से क्या डरना बेहतर है उनके साये में ही मर जाना
जब बने कुर्बान होने के लिए तो मौत से क्या घबराना
शम्मआ से मिलने की बारी है तो परवाने ने कहाँ जाना
…………………………तो परवाने ने कहाँ जाना
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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Very nice Sir g very nice poem
ReplyDeleteThank you much Nishan for your regular visit and your love for my poetry
DeleteBahot achhi h poem
ReplyDeleteThank you and Thank you again for your love!
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