बदल-बदल कर आईना देखा न करो
कहीं स्वयं आईना बीमार न हो जाये
तू मुस्कुराये तो मोती भी कम पड़ते हैं
कहीं उसका दिल बेकरार न हो जाये
तेरे हंसी चेहरे पर जो फूल खिलते हैं
हँसी को देख कहीं बेताब न हो जाये
ख़ूबसूरती की मिसाल है तेरा ये हुस्न
आईने को ही तुझसे प्यार न हो जाये
उसके आसपास तुम इतराया न करो
कहीं उसका ही बुरा हाल न हो जाये
तेरे पग पैरों घुँघरू भी खूब मचलते हैं
कहीं तेरी आदत में शुमार न हो जाये
तेरे नैन शराबी मदहोशी का है आलम
कहीं इसी बात पर बवाल न हो जाये
बढ़ चढ़ के तुम यूँ ही न निकला करो
आईना ही इसका शिकार न हो जाये
कमर लचका के चलना ये तौबा मेरी
आईना ही अपने से बाहर न हो जाये
मेरी मानो आईने को बेदख़ल कर दो
कहीं बेसब्री का इंतकाल न हो जाये
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
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