उसकी आँखों में
एक स्वछंद मुस्कान और वही पहचान है
आँखों में नृत्य है मगर लगती अनजान है
सीखती हुई सीखाती साथ में सम्मान है
मुस्कान सहित उड़ान है जीना आसान है
बदलते हुए समय के बहुत से सवाल हैं
उनमें विरोधाभास है अल्पमत बवाल है
पर जो कहना चाहती है कह भी लेती है
ग़र कुछ न कह सके तो सह भी लेती है
कभी शैतानी तो कभी प्यार का अंबार है
सीधी सादी बातों से निकलता इज़हार है
ज़िंदगी एक ख्वाब है खूबसूरत नज़ारा है
वही दिशा का सूचक है उसका सहारा है
बहुत सारे स्वप्न है जो रंगों के गुलाम हैं
थोड़ी सी आहट संग हो जाते गुमनाम हैं
वो एक नैया है और वो खुद ही खेवैया है
बातों को मनवा लेना ही उसका रवैया है
चहल-कदमी करती मुस्कराती जाती है
पूछने पर भी कुछ बातें तो टाल जाती है
एक नृत्यांग्ना है एक बड़ी सी संभावना है
बेटी के रूप में मिली प्यारी सी भावना है
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'