Thursday 28 December 2017

A-342 मेरे आग़ोश में 1.1.18--5.45 AM

A-342 मेरे आग़ोश में 

मेरे आग़ोश में यूँ तन्हा न हुआ करो 
नज़रें मिला मुझसे तुम न छुआ करो 
तेरा एक एक कदम कर आगे बढ़ना 
और करीब और करीब न हुआ करो 

परेशानी का सबब है तेरा चले जाना 
तुमने तो ढूंढ लेना है बस कोई बहाना 
किसके सहारे कटेगी अब बाकी रैना 
थोड़ा सोचो सोच कर मुझे समझाना 

ज़िंदगी में और भी हैं इतनी रुस्वाइयाँ 
क्यों कर सहनी पड़े और ये तन्हाईयाँ 
ग़मों का नहीं हुआ है हिसाब मुकम्मल 
नहीं कर सकते हम अब तेरी बुराईआं 

आकर ठहर जा तुम एक सहरा बनो 
अपने बहानों के बीच तुम पहरा बनो 
तेरा जाने में तेरा आना मुकम्मल हो 
मेरे बाहुपाश में तुम मेरा चेहरा बनो  

मेरे आग़ोश में यूँ तन्हा न हुआ करो 
नज़रें मिला मुझसे तुम न छुआ करो 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”


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