Thursday 28 December 2017

A-341 तेरा ऐसे मुस्कुराना 6.1.18--4.13 AM


A-341 तेरा ऐसे मुस्कुराना 6.1.18--4.13 AM

तेरा ऐसे मुस्कुराना मुझको गले लगाना
लगता है तुमको भी आ गया है निभाना

तुमको पड़े कभी अगर रिश्ते में पछताना 
थोड़ा दर्द मुझे दे देना खुद को न रुलाना 

तुम्ही हो मेरे हमदम तेरे कहने में रह लेंगे 
तेरे दिया हुआ दर्द हम ख़ुशी से सह लेंगे 

तेरी ख़ुशियों की ख़ातिर बुने हैं जो सपने 
सिर्फ़ तुम्ही तो हो जो लगते हो मेरे अपने 

हमने बना लिया एक छोटा सा आशियाँ 
तेरे सपनों के संग रहेगा तेरा ये क़दरदाँ  

तेरे मेरे सपने जब एक रंग में सजे होंगे 
ज़िंदगी जीने के तरीके दोगुने मज़े होंगे 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 


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