एक मुद्दत के बाद तेरा आना हुआ
पहली बार तेरा यूँ मुस्कराना हुआ
हँस कर क्यों ओझल हो जाती हो
क़रीब आने का कैसा पैमाना हुआ
छुप्पम छुप्पी का खेल अनोखा है
मुद्दत बाद मिले हो मग़र धोखा है
ढूँढता हूँ मग़र मिलते भी नहीं हो
मिलने का अन्दाज़ भी अनोखा है
आ जाओ अब और न सतायो तुम
कहाँ छिपे हुए हो अब बताओ तुम
जानते हो तेरे बिना नहीं रह सकते
अब मुझसे और न दूर जाओ तुम
दिल आ गया तस्वीरें उधेड़ डालूँगा
मैं तो तक़दीर को भी खदेड़ डालूँगा
आज अगर तुम लौट कर नहीं आये
कसम है मुझे तुझपर नकेल डालूँगा
Poet: Amrit
Pal Singh Gogia “Pali”
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Very strong emotional force of a lover !!! Beautifully described !
ReplyDeleteबहुत खुब क्या बात है।
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