Thursday 28 December 2017

A-330 यक़ीन हो चला है 29.10.17--8.08 PM

A-330 यक़ीन हो चला है 29.10.17--8.08 PM

मुझे यक़ीन हो चला है कि
वो आईने वाला इन्सान मैं नहीं हूँ 
क्यों कि वह कभी झूठ नहीं बोलता 
और मुझमें सच बोलने की हिम्मत नहीं है 

मुझे यक़ीन हो चला है कि
तुम मुझसे बेइन्तिहा प्यार करती हो 
नाराज़ होना इसका प्रमाण है 
ऐसा ग़ैर कभी नहीं कर सकते 

मुझे यक़ीन हो चला है कि
तुम मुझसे जुदा नहीं हो सकती 
जुदा होने के लिए झगड़ा जरुरी है 
तुम तो बिलकुल मौन हो जाती हो 

मुझे यक़ीन हो चला है कि
तुम मेरी ज़िंदगी की आखिरी साँस हो 
तुम्हारा लड़ना इस बात को दर्शाता है 
कि तुम मेरी कितनी फ़िक्र करती हो 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”


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