A-211 देखा है पहले भी 4.6.17--3.00 PM
देखा है पहले भी जब पहली मुलाक़ात हुई
दिल दीवाना हुआ और आँखें जब चार हुई
बेहोशी का आलम निंदिया भी खराब हुई
खिसकी चुनरिया तेरी बाँहों में आबाद हुई
देखा है पहले भी जब पहली मुलाक़ात हुई
दिल परवाना हुआ व शम्मआ गुलज़ार हुई
हम तुम्हारे हुए नहीं रहा फिर सवाल कोई
जिंदगी हम से हमारी हुई और आबाद हुई
प्यार के ऐसे सबब में फिर मलाल कैसा
कौन सा झूठ कौन सा सच सवाल कैसा
कैसी उलझन कैसा तबस्सुर हिसाब कैसा
अपने रंगों में बेसुर रंगों का विस्तार कैसा
फूलों की ख़ुशबू बहकती हवाओँ का रोष
बारिश मद्धम महकती फिजाओं का जोश
तुम्हीं बताओ क्यूँ न बहकें क्यों रखें होश
प्यार के आलम भी हो क्यों न हों बदहोश
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