A-088 जब तेरी याद आ जाये 29.8.15—2.51 PM
जब तेरी याद आ जाये तो मैं क्या करूँ
उसको सम्भालूँ या तुमसे मैं बात करूँ
स्वीकार करूँ या थोड़ा सा आगाह करूँ
बेसब्रों की दुनिया है उनकी परवाह करूँ
बेवक़्त आती है और हर पल सताती है
मुंदी आँखों में भी जबरन समा जाती है
कुछ समझ आता नहीं न होश रहता है
सन्नाटा छा जाता है पर कुछ कहता है
थक कर अपनी हार को लपेट लेती हूँ
आँखों में बरबस मैं आँसू समेट लेती हूँ
धुंध छा जाती है तेरे एक ही पैगाम से
बेहोशी की हालत में लगे होंठ जाम से
गुजारिश है कि सम्भल के आया करो
तुम बहुत प्यारे हो पर यूँ न सताया करो
थोड़ी शांति और धैर्य पूर्वक आया करो
अच्छे हो पर अपनी जिद्द न ज़ाया करो
Poet: Amrit
Pal Singh Gogia “Pali”
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