A-336 मैं प्यार करूँ 17.12.17--6.24 PM
सावन का महीना जैसे ही आया है
दिल ने भी ज़बरन शोर मचाया है
तुमसे मिलूँ मिल के मैं प्यार करूँ
तेरी बाँहों में रह तेरा इंतज़ार करूँ
क्यों प्यार किया हम ये सोचते रहे
ऐसा क्या था तुममें हम लोचते रहे
जब तक तुम लौट कर नहीं आये
तेरी बफ़ा बारे हम हल जोतते रहे
रात दीवानी हुई थोड़ी मस्तानी हुई
थोड़ा सा हंगामा थोड़ी विरानी हुई
दिल क्यों मचला बड़ी हैरानी हुई
तुझे न पाकर और भी परेशानी हुई
तेरे न मिलने का ग़म उमदा नहीं है
तेरे जाने से ज़ख्म और उभर आये
रात चांदनी भी ग़मगीन होने लगी
अँखियों में नीर लिए जो मुस्कुराये
रात को चाँदनी से ही प्यार हो गया
दिल खोल डाला व इज़हार हो गया
चाँदनी भी खुलकर सामने से बोली
तुम देखो मुझसे क्यों प्यार हो गया
बात थोड़ी सी मुझे भी कसकने लगी
तेरे बिना जीना क्यों दुशवार हो गया
तेरे जाने में मेरा विशिष्ठ अवरोध था
बस वही मुझसे एक दुराचार हो गया
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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Bahut khoob
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