A-192 तेरी नफरत
तेरी नफरत मुझे डराती है
तुमसे दूर मुझे भगाती है
यह तेरी शिकायतों का स्वर है
वही बिमारी है वही तो ज्वर है
तेरी नफरत कर देती है मुझे उदास
नहीं चाहती है नहीं रहूँगा तेरे पास
तेरी नफरत के बहुत से कारण होंगे
शिकायतें होंगी मगर अकारण होंगे
तेरी आखों में चिँगारी भी दिखती हैं
झुलस रही है तूँ हर पल तू हर रात
तेरी आखों का सूनापन भी दिखता है
तेरी आखों से हो रही होती है बरसात
सारा जहाँ सिमट जाता है तेरे चेहरे पे
उदासी दिखती है बन कर तेरा एहसास
उम्र के इस ढलान पर अँधेरा छाने लगा
किस से शिकायत कोई नहीं तेरे पास
परिवार का सहारा भी खिसकता सा है
आँसूओं की तरह ये कहीं बिखरता सा है
भरोसा नहीं रहा अपनों का इस ज़िंदगी में
भरोसा खुद का भी कहीं सिमटता सा है
ज़िंदगी लड़खड़ाने लगी अपाहिज की तरह
चला जाता भी नहीं एक मुसाफिर की तरह
छोड़ ही देती ये दुनिया गर मेरे वस में होता
मज़बूरी है ज़िंदगी की कोई साथ तो होता
नफरत क्यूं न करूँ जब मैं ही तनहा हो गयी
कोई पास आता नहीं एक रात यूं ही सो गयी
सारी दुनिया मेरे इर्द गिर्द घूम कर पूछने लगी
क्या हुआ है जो तूँ इस कदर तनहा हो गयी
कोई भी मेरा नसीब नहीं इस ज़िंदगी में
उसी का सहारा है निकल जाऊँ बंदगी में
क्या रखा है इस कल कल की गंदगी में
जो मिला उसी के साथ जिऊँ पसंदगी में
ऐसी झूठी तसल्ली नहीं चाहिए अब और मुझे
सब झूठ है बकवास है कोई परमात्मा नहीं
आपकी नफरत में मुझे प्यार नज़र आता है
गुस्से में भी प्यार का इज़हार नज़र आता है
कौन किसी को कहता है अपनों के सिवा
आपकी झिरकिओं में आभार नज़र आता है
सम्भालो खुद को कर के देखो गैरों से नफरत
नफरत से भी पहले रिश्तों को बनाना पड़ता है
रिश्तों को सजायो पहले और फिर नफरत करो
फिर अपनों का संसार खुद ही गवाना पड़ता है
खुल के बात करो गर मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ
सजा भी मुकर्रर करो उसके लिए भी तैयार हूँ
पर ये तो बताओगे न कि मैंने किया क्या है
तुम कैसे घायल हुए मैं कितना गुनहगार हूँ
नींद आपकी उड़ गयी है आपकी आखों से
और ऐसा इस बार नहीं ये हर बार होता है
शिकायतों का सिलसिला तो चलता रहेगा
यहाँ भी रो रोकर बुरा हाल होता है
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