A-222 न उम्र की तलाश है
न उम्र की तलाश है
न ग़मों का ज़िक्र है
जिंदगी रहनुमा है
उसी का फ़िक्र है
न उसको ढूंढ पाये
न हम ख़ुद देख पाये
मैं बाहर ढूँढता रहा
वह अंदर रहा समाये
कायनात की झलक को
देखने आयी है ये दुनिया
दिखता कुछ भी नहीं है
आँखें से अंधी ये दुनिया
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