Monday 25 December 2017

A-152 सच्चा इन्सान 10.6.15—7.15 AM

A-152 सच्चा इन्सान 10.6.15—7.15 AM 

परमात्मा ने एक सच्चा इन्सान बनाया 
सीधी सादी वेशभूषा ऊँची गर्दन काया 

छोटा दिल बरगद सीना कैसी है माया 
एक बार तो भगवान भी देख घबराया

कि उसने भी यह कैसा इन्सान बनाया 
सिर ऊँचा गर्दन सीधी अखड़ू है काया 

छोटी दुनिया वही परिधि उसी में जाया 
फ़रेबी लोगों को यह पसन्द नहीं आया 

चाल की सीमा भी खुद तय करता है 
न वह डरता न डराये न कभी घबराया 

ज़िद्दी पुरुष है ज़िरह भी हो सकती है 
तभी तो कोई इसके क़रीब नहीं आया 

खुद रहता प्यार से प्यार ही अपनाया 
न किसी इंसान को समझे यह पराया 

बिना रूचि कभी कोई काम न पकड़े 
जाने किसकी सूरत किसका है जाया 

लोगों को जिसका डर बहुत रहता है 
हर जगह इसने झंडा अपना लहराया 

परमात्मा ने एक सच्चा इन्सान बनाया 
सीधी सादी वेशभूषा ऊँची गर्दन काया 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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