A-338 चले भी आओ 17.12.17—6.58 AM
चले भी आओ अब किसका इंतज़ार करते हो
वहाँ कोई नहीं है जिसका तुम विचार करते हो
न कोई जिक्र है न कोई है तुमको मनाने वाला
बेशक़ इंतज़ार करो कोई नहीं है रिझाने वाला
ग़मज़दा होने से नहीं मिलता कोई भी तबस्सुम
जो तुम्हें अपनी पहचान दे और मुस्कराने वाला
तेरे गम में शरीक़ होकर तुमको समझाने वाला
तेरा हमसफ़र भी बने और तेरा गम खाने वाला
किसी को फुर्सत नहीं जो ग़मज़दा हो तेरे लिए
न अपने आँसुओं को बहा तेरे अपने हैं तेरे लिए
बहुत मशरूफ हैं क़ाबिल तेरी मुद्दों के मद्देनज़र
मुल्जिमों को फुर्सत नहीं फ़ब्ती कसने के लिए
चले भी आओ अब किसका इंतज़ार करते हो
वहाँ कोई नहीं है जिसका तुम विचार करते हो
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
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