Monday 25 December 2017

A-164 दूर क्यूँ खड़े हो-22.8.15—11.01 PM

A-164 दूर क्यूँ खड़े हो-22.8.15—11.01 PM 


















इतनी दूर क्यों खड़े हो पास मेरे तुम आओ न
अँखियाँ न भरो तुम यूँ मुझे भी यूँ रूलाओ न 

काँपते होठों से सहीं जो भी हुआ बताओ न 
सारा बोझ उठा रखा है मुझे भी दे जाओ न 

थोड़ा सब्र करो खुद को तुम यूँ तड़पाओ न 
बरस पड़ो मुझ पर खुद को तुम सताओ न

तेरी ख़ुशिओं के सहारे ही तो हम ज़िन्दा हैं 
ये सहारा मुझ से छीन तुम लेकर जाओ न 

थोड़ी देर के लिए ही सही मगर आ जाओ 
मेरी बाँहों में आकर थोड़ा सा मुस्कुराओ न 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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