Tuesday 26 December 2017

A-265 कभी आँखों में 20.4.17--8.47 AM

A-265 कभी आँखों में 20.4.17--8.47 AM

कभी आँखों में छुपा लेते हो 
कभी दिल में बसा लेते हो 
यह कैसा मज़हब है तुम्हारा 
जब चाहते हो मज़ा लेते हो 

कभी खुद को छुपा लेते हो 
कभी दिल को सज़ा देते हो 
तेरा मुझ से भला क्या रिश्ता 
जब चाहते हो बुला लेते हो 

न समझ पाए तेरी मोहब्बत 
दूर रहकर हर बात करते हो 
करीब आकर मौन होते हो 

किस बात का सिला देते हो 

ये कैसा mazhabb है तुम्हारा 

न चाहकर भी बुला लेते हो 

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