Tuesday, 26 December 2017

A-228 अपने घर का पता नहीं 7.1.17--7.12 AM



A-228 अपने घर का पता नहीं 7.1.17--7.12 AM

अपने घर का पता नहीं 
दुनिया की तलाश है 
मारा मारा मैं फिरता हूँ 
एक अजनबी निराश है

सामने आये तो देख सकूँ 
तुझमें ऐसा क्या खास है 
तेरे रूबरू और नहीं कोई 
उस दिन की मुझे प्यास है 

जब मैं तेरे रूबरू हो सकूँ 
उस दिन का मुझे इंतज़ार है 
तेरी असमत तेरे जहन में 



मोहब्बत का कोई मीनार है 

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