Thursday 28 December 2017

A-327 क्या ढूँढ़ते हो 23.10.17--8.30 PM

A-327 क्या ढूँढ़ते हो 23.10.17--8.30 PM

क्या ढूँढ़ते हो आँखों में वहाँ तुमको सजा रखा है 
कोई देख न ले तुमको पलकों में ही छुपा रखा है 

क्या ढूँढ़ते हो साँसों में इक माला सी बना रखी है 
तेरा आना जाना बना रहे ऐसी तदबीर बना रखी है 

क्या ढूँढ़ते हो बाँहों में तेरी तक़दीर संभाल रखी है 
पल पल की खबर रहे तुमको तदबीर बना रखी है

क्या ढूँढ़ते हो राहों में तेरे निशानों को सजा रखा है 
मिट जाये न निशां इसीलिए गलीचे से छुपा रखा है 

क्या ढूँढ़ते हो दिल में तुझको बरबस बसा रखा है 

मर जाऊँ तेरे बिना इसीलिए तुमको लिवा रखा है 



Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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