तू न रहे पास तो क्या
दिल तो अज़ीज़ होता है
तू नफ़रत भी करे तो क्या
दिल तो शरीक़ होता है
तेरी वेशभूषा तेरा मुस्कुराना
मुझे मक़बूल नहीं
तू भी करे इन्कार तो क्या
दिल तो शरीक़ होता है
तेरा परे रहना मुझसे
तेरी मज़बूरी रही होगी
मज़बूरी में भी रहे तो क्या
दिल तो शरीक़ होता है
उम्र भर साथ रहना
इतना आसान भी नहीं
मुझसे दूर जायो तो क्या
दिल तो शरीक़ होता है
तुम अभी भी चाहते हो
मुकम्मल जिंदगी मगर
दस्तूर न निभायो तो क्या
दिल तो शरीक़ होता है
न सही हम तेरे मुक़द्दर में
मेरे मुक़द्दर में तुम हो
तुम न समझ पायो तो क्या
दिल तो शरीक़ होता है
तू न रहे पास तो क्या
दिल तो अज़ीज़ होता है
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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