Thursday 28 December 2017

A-333 चाँदनी से प्यार 10.11.17--12.06 AM


A-333 चाँदनी से प्यार 10.11.17--12.06 AM 

अंधेरे को चाँदनी से ही प्यार हो गया 
शरद पूर्णिमा तलक इज़हार हो गया 
चाँदनी ने भी खुलकर इकरार किया 
आपसी झगड़ों से दरकिनार हो गया 

रात बिना चाँदनी कैसे सज पायेगी 
जीवन की नीहं कैसे वो रख पायेगी 
उसके बिना जीने का सार खो गया 
वो नहीं तो जीवन ही बेकार हो गया 

लगी नहाने रात हिचकोले ले लेकर 
लहरें भी उछलें उछालें कुछ ले देकर 
समुद्र के सीने गर्व से उभार हो गया 
जैसे जीवन का मानो उद्धार हो गया 

एक पल भी नहीं रह सकता तेरे बिन 
तेरे बिना जीना अब दुशवार हो गया 
अंधेरे को चाँदनी से ही प्यार हो गया 
शरद पूर्णिमा तलक इज़हार हो गया 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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