Monday 25 December 2017

A-174 बचपन की कहानी 11.12.15—2.00 AM


वो बचपन की कहानी मुझे उधार दे दो 
बदले में चाहे तुम एक सौ हज़ार ले लो 

रोना चिल्लाना भी रूठना भी मनाना भी 
नहीं तो सारे घर को सर पर उठाना भी 

शिकायतों से भरा मम्मी का खज़ाना भी 
इसके बावजूद खींच गले से लगाना भी 

दादी के पास सरक जाने का बहाना भी 
प्यारी सी आवाज़ में मम्मी ने बुलाना भी 

नखरे करना और हमने फिर इतराना भी 
मम्मी ने प्यार से लपक कर ले जाना भी 

टेढ़ी मेढ़ी होकर आखिर पलट जाना भी 
गुस्सा में हमने चिढ़-चिढ़ के दिखाना भी 

मिलती हो आजादी मिलता हो प्यार भी 
मम्मी और पापा मिलें कहने को यार भी 

वो बचपन की कहानी मुझे उधार दे दो 

बदले में चाहे तुम एक सौ हज़ार ले लो 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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