Tuesday 26 December 2017

A-121 एक सवाल

एक सवाल जो बार-बार आ रहा है 
और यह हम सबको फुसला रहा है 
भीतर की बात करते हैं जो अक्सर 
क्या उनका मन गीत गुनगुना रहा है

जो आया है उसको सहज आने दो 
जीर्णता को अपनी जगह बनाने दो 
दैहिक दर्द आया है तो उसे आने दो 
रूह की अवस्था सहज हो जाने दो 

एक प्रक्रिया है जो घटित हो रही है 
गुणों की स्थिति है पतित हो रही है 
हर उम्र का अपना ही एक पड़ाव है  
जो समझ ले उसके लिए ठहराव है 

कोई किसी के प्यार में कुर्बान हुआ 
कोई देश की खातिर बलिदान हुआ 
कोई किसी के झगड़े में उलझ गया 
कोई किसी की सेवा से सुलझ गया 

प्रभु को तो सिर्फ बहाना ही चाहिए 
आप बेशक उम्र के संग मुस्कुराइये 
जन्मदिन भी बेशक धूम से मनाइये 
अपने आपको कहीं निरोग बताइये 

सारे सवाल धरे के धरे रह जायेंगे 
अपने आपको धरातल पर पायेंगे 
नहीं चलेगा हमारा कोई भी उपाय  

उसकी निग़ाहों से नहीं बच पायेंगे 

अमृत पाल सिंह 'पाली'


2 comments:

  1. लाज़वाब क्या कहा है
    सारे सवाल धरे के धरे रह जाएंगे
    अपने आप को धरातल पर पायेंगे
    वाह वाह।

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