Tuesday 26 December 2017

A-224 सारा साल सोए रहते हो


A-224 सारा साल सोए रहते हो 
सारा साल सोए रहते हो 
आखिर में कुछ कहते हो 
इतना तुम क्यों सहते हो 
क्यों इकठ्ठा कर लेते हो 

अंतिम वक़्त ही सताता है 
हर पल याद भी कराता है 
पुराने पन्ने न तुम याद करो 


याद भी बराबर आता है 
कैसी नियति है हर बार आती है 
नया साल आते ही सबको जागती है 
क्या सम्भव हो हर दिन तुम जग सको 
हर दिन पुराने पन्नो को फाड़ सको 
हर नया दिन सबको मुबारक हो 
हर दिन तुम नयी शुरुआत करो 

आनंद। कि कोई सीमा न रहे 

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