A-224 सारा साल सोए रहते हो
सारा साल सोए रहते हो
आखिर में कुछ कहते हो
इतना तुम क्यों सहते हो
क्यों इकठ्ठा कर लेते हो
अंतिम वक़्त ही सताता है
हर पल याद भी कराता है
पुराने पन्ने न तुम याद करो
याद भी बराबर आता है
कैसी नियति है हर बार आती है
नया साल आते ही सबको जागती है
क्या सम्भव हो हर दिन तुम जग सको
हर दिन पुराने पन्नो को फाड़ सको
हर नया दिन सबको मुबारक हो
हर दिन तुम नयी शुरुआत करो
आनंद। कि कोई सीमा न रहे
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