Tuesday 26 December 2017

A-288 छू लेने की तमन्ना हुई 3.4.17--1.58 AM

A-288 छू लेने की तमन्ना हुई  3.4.17--1.58 AM 

छू लेने की तमन्ना हुई 
उस पर क़ाबू पा न सके 
खुद पर क़ाबू कर लिया 
खुद को हम न हरा सके 

अश्क़ों को बहा न सके 
तुमको हम भुला न सके 
रोयें तो किस बिनाह पे  
नीर भी हम ला न सके

यह कैसी ज़िन्दगी भला 
करीब भी तो आ न सके 
तेरा ज़िक्र भी तो आएगा 
तुमको हम बता न सके 

हम तेरी सोहबत में रहे 
यह भी हम बता न सके 
प्यार जो तुमसे किया है 
यह भी हम जता न सके 

बड़ी मुश्किल में खड़े हैं 
खुद को समझा न सके 
इतने करीब पाकर भी 
हम तुमको बुला न सके 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “pali”

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