A-300 मैंने चाहा था 8.7.17--11.40 PM
मैंने चाहा था तुमको चाहा था प्यार करूँ
प्यार की रिश्वत दूँ उसका इजहार करूँ
तुम न जाने खो गए हम तो देखते ही रहे
और तुम तो सो गए अब कैसे प्यार करूँ
आकर गले लग जाते हो अपनी हर बात सुनाते हो
बोलने का मौका देते नहीं ग़ुस्सा भी खूब जताते हो
वर्ना कैसे इज़हार करूँ
तेरा आना उलझ जाना
बाँहों की उल्फत में
हम तो उलझ गए
किसका इज़हार करूँ
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