Monday 25 December 2017

A-114 तुम जुदा हो गए 7.7.16—6.46AM

A-114 तुम जुदा हो गए  7.7.16—6.46AM 

आज तुम कैसे अजनबी हो गए 
रिश्ते जो अपने थे कहाँ खो गए 
पल भर की जुदाई पे बस न था 
किसके भरोसे तुम जुदा हो गए 

अब तक तो मेरे दिल में बसे थे 
अब किसके संग कहाँ खो गए 
दर्द ने दिल में हरक़त की होगी 
या फिर यूँ ही तुम विदा हो गए 

तेरे जाने से दर्द भी सलामत है 
न जाने फिर क्यों खड़े हो गए 
सलामती की दुआ करते करते 
न जाने हम फिर कहाँ खो गए 

पल भर की जुदाई पे बस न था 
किसके भरोसे तुम जुदा हो गए 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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