Saturday 23 December 2017

A-340 केवल प्यार करो 21.12.17--3.02 AM

A-340 केवल प्यार करो 21.12.17--3.02 AM 

प्यार करो तो केवल प्यार करो 
न इकरार करो न इज़हार करो 
बस बाँहों में रहो न संवाद करो 
सूर्य के ढलने का इंतज़ार करो 

दर्द जानो न थोड़ा क़रीब आकर 
थोड़ा तिलमिला कर मुस्कुराकर 
इतनी दूर कैसे चले जाते हो तुम 
मेरे इतने करीब मेरे बीच आकर 

पास रहकर पास नहीं रहते हो 
दूर जाके दूरियां नहीं सहते हो 
कसमकश को शुभा होने लगा 
अपनी बात तुम नहीं कहते हो 

बुझा सा प्यार मैं क्या जानू रे
नहीं होता इंतज़ार कैसे मानूँ रे 
गिर जाओ तुम बाँहों में आकर 
तभी तो प्यार तेरा मैं पहचानूँ रे 

ढूँढता रहा तुझे अपने विचारों में 
छुपे रहे गुनहगार के किरदारों में 
हमने बढ़ के न थाम लिया होता 
तुम तब भी घिरे रहते विचारों में 

न फूल खिला न तुम तबस्सुम हो 
किसका इंतज़ार क्यों गुमसुम हो 
नहीं मिलती ऐसे कोई भी फ़िज़ा 
जब तलक न ज़िक्र में तरन्नुम हो 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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