Thursday 28 December 2017

A-334 कभी कसक उठे 10.11.17--7.36 AM


A-334 याद कर लेना 10.11.17--7.36 AM

कभी कसक उठे तो याद कर लेना 
इस बात को भी स्वीकार कर लेना 
तुम अभी भी मुझसे प्यार करते हो  
नम आँखों से ही इकरार कर लेना 

बड़ी मुश्किल तुमने जुदाई ली थी 
बात बफा की थी बेबफाई की थी 
इतनी गहरी छाप कहाँ छिपती है 
बात मन की व जग हंसाई की थी

बड़ा ग़रूर था न अपनी अदाओं पे  
क्या पा लिया तुमने फ़िज़ाओं से 
थोड़ा अदब में रहकर भी तो देख 
क्या मिलता है तुझे रहनुमाओं से 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"

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