A-112 एक बार सनम 11-5-15—4.13 AM
एक बार सनम हम तेरी यादों में खो गए
तन्हा क्या हुए तेरे आग़ोश में ही सो गए
तुमने जो हमें अपना कहकर पुकारा था
कितना हसीन सपना कितना प्यारा था
कहाँ चली गयी तुम अब तक तो यहीं थी
बहुत ढूँढा किया मगर क़िस्मत में नहीं थी
आजू-बाजू भी हमने देखा सारा छान मारा
कोई मिला भी नहीं अब किसका है सहारा
ख़ुदा को भी कर डाली मिन्नतें हमने हज़ार
छोटा सा बच्चा हूँ, भाई सुन ले मेरी पुकार
मत दिया करो तुम ऐसा सपनों का संसार
जिसमें इतनी ख़ुश्बू भी हो इतना हो प्यार
आज के बाद गर वो मेरे सपनों में आएगी
तेरी कसम वह फिर कभी लौट न पायेगी
जब जाने न दूँगा तब बात समझ आएगी
देखना तेरी नियत फिर कितना पछताएगी
क्या हक़ तुम्हें उसे छीन कर ले जाने का
तुमने ही दिया था यह हक़ है परवाने का
जब छीन ही लिया तुमने मेरी दीवानी को
मेरे दर्द भी समझते, या थोड़ा परेशानी को
तूने अपने तरीके से सजा तो सुनानी थी
मुझे चुन लेते तो क्या होनी परेशानी थी
जुदाई का दर्द भला कैसे सहा जाता है
हो जाये कोई जुदा तो कैसे रहा जाता है
अक्ल आ जाती तुमको भी सही ठिकाने
फ़िदा हुए होते जब, रिश्ते पड़ते निभाने
दर्द समझ आ जाता तुमको भी तब्बस्सुम
तुम भी जुदा हुए होते उनसे भी कभी तुम
अल्प विधी बिमारी बनी थोड़ी लाचारी थी
तमन्ना बड़ी थी थोड़ी किस्मत की मारी थी
अब एक इल्तज़ा है तुमसे सुन ए मेरे खुदा
मतकर अपनों को तुम कभी अपनों से जुदा
सुना है कि जो तेरा दिल आये कर सकता है
सुना है सब की सुनता है मदद कर सकता है
बहुत समझता है न खुदा ख़ुद को फनकार
कर सकता है तो कर मेरे सपने को साकार
कर सकता है तो कर मेरे सपने को साकार
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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Very nice Sir
ReplyDeleteThank you so much Nishan
DeleteVery touchable indeed.
DeleteGood to see your another part of life sir.Carry on and we will delight our heart through this type of wonderful creation.
Thanks.
This is from Bappaditya Impal Asansol
DeleteThank you so much for your appreciation and love for my poetry. Send your contact No. I will put you on my broadcast list. So that you regularly get the link.
DeleteNice ..
ReplyDeleteThank you so much!
DeleteVery nice sir
ReplyDelete*यादों के स्पर्श बडे़*
*अजीब होते हैं,*
*कोई भी ना हो पास,*
*फिर भी ये बहुत करीब होते हैं..*
मेरी पसंदीदा कविता
ReplyDeleteअकेले पेड़ों का तूफ़ान
फिर तेजी से तूफ़ान का झोंका आया
और सड़क के किनारे खड़े
सिर्फ एक पेड़ को हिला गया
शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे
उनमें कोई हरकत नहीं हुई।
जब एक पेड़ झूम-झूम कर निढाल हो गया
पत्तियाँ गिर गयीं
टहनियाँ टूट गयीं
तना ऐंचा हो गया
तब हवा आगे बढ़ी
उसने सड़क के किनारे दूसरे पेड़ को हिलाया
शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे
उनमें कोई हरकत नहीं हुई।
इस नगर में
लोग या तो पागलों की तरह
उत्तेजित होते हैं
या दुबक कर गुमसुम हो जाते हैं।
जब वे गुमसुम होते हैं
तब अकेले होते हैं
लेकिन जब उत्तेजित होते हैं
तब और भी अकेले हो जाते हैं।
क्या यह कविता आपने लिखी है
Deleteअर्थ बहुत गहरे हैं! बहुत अच्छा लगा, मुबारक हो
नहीं
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